मेहनत, धैर्य और तकनीक से बनी “विजेता” – कोसा बीज उत्पादन में सफलता की मिसाल
कोसा बीज उत्पादन में छत्तीसगढ़ की महिला की बड़ी उपलब्धि, केंद्रीय रेशम बोर्ड से मिला सम्मान
रायपुर, 4 सितंबर 2025।
कहा जाता है कि अगर मेहनत, धैर्य और कौशल हो तो कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है। इस कहावत को सच कर दिखाया है छत्तीसगढ़ की बिलासपुर जिला अंतर्गत बेलतरा विधानसभा क्षेत्र के ग्राम रमतला की निवासी विजेता कोरी (उर्फ अन्नू कोरी) ने। उन्होंने रेशम और कोसा बीज उत्पादन के क्षेत्र में नया कीर्तिमान स्थापित करते हुए यह साबित कर दिया कि महिला सशक्तिकरण का असली उदाहरण गाँव की धरती से निकल सकता है।
विजेता कोरी की प्रेरणादायक कहानी
विजेता एक साधारण ग्रामीण परिवार से ताल्लुक रखती हैं। शुरुआती दिनों में उन्हें कोसा उत्पादन के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी, लेकिन रमतला रेशम अनुसंधान एवं विकास केंद्र से प्रशिक्षण और तकनीकी मार्गदर्शन प्राप्त कर उन्होंने धीरे-धीरे इस काम की बारीकियां सीखीं। कड़ी मेहनत और लगन से उन्होंने अकेले ही एक माह में 12 हजार नग कोसा बीज का उत्पादन किया, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है।
केंद्रीय रेशम बोर्ड से सम्मान
उनकी इस मेहनत और उपलब्धि के लिए हाल ही में केंद्रीय रेशम बोर्ड, रांची द्वारा उन्हें सम्मानित किया गया।
यह सम्मान उन्हें कोरबा जिले के पाली विकासखंड के ग्राम डोंगानाला में आयोजित “मेरा रेशम, मेरा अभिमान” कार्यक्रम में दिया गया।
इस अवसर पर उन्हें डॉ. एन.बी. चौधरी (निदेशक, केंद्रीय रेशम बोर्ड रांची), डॉ. नरेंद्र कुमार भाटिया (बिलासपुर) और श्री सी एस लोन्हारे द्वारा सम्मानित किया गया।
विजेता ने मात्र एक माह में 40 हजार रुपये की आमदनी अर्जित कर यह सिद्ध किया कि आत्मनिर्भरता केवल सपना नहीं बल्कि हकीकत भी है।
रेशम उत्पादन की कठिनाई और मेहनत
विजेता बताती हैं कि रेशम उत्पादन की प्रक्रिया आसान नहीं होती। इसमें काफी मेहनत और तकनीकी कौशल की आवश्यकता होती है।
एक माह का समय लगता है कोसा बीज तैयार करने में।
मौसम अनुकूल हो तो साल में 3 से 4 बार उत्पादन संभव है।
इस काम के साथ-साथ वे समय-समय पर केंद्र में दैनिक मजदूरी भी करके आजीविका अर्जित करती हैं।
सरकारी योजनाओं से मिली मजबूती
विजेता ने बताया कि उनके जीवन को बेहतर बनाने में सरकार की योजनाओं का अहम योगदान है।
उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्का घर मिला।
महतारी वंदन योजना से हर माह 1000 रुपये मिलते हैं।
श्रम विभाग की बीमा योजना, बच्चों की छात्रवृत्ति योजना और अन्य योजनाओं से भी उन्हें लाभ मिला।
बिहान योजना के तहत गंगा जमुना स्व-सहायता समूह से जुड़कर उन्होंने मछली पालन का काम शुरू किया, जिससे उनकी आमदनी और बढ़ी।
विजेता कोरी – महिला सशक्तिकरण का उदाहरण
विजेता का कहना है –
> “सरकार की मदद और अपने आत्मविश्वास के बल पर मैंने अपने जीवन को बेहतर बनाया है। आज मैं अपने पैरों पर खड़ी हूँ और अपने परिवार को सुरक्षित भविष्य दे पा रही हूँ। इसके लिए मैं प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की आभारी हूँ।”
विजेता कोरी की यह कहानी केवल एक महिला की सफलता की दास्तान नहीं है, बल्कि यह इस बात का प्रमाण है कि ग्रामीण महिलाएं भी मेहनत और सही मार्गदर्शन से बड़े सपने पूरे कर सकती हैं। उनकी मेहनत, आत्मविश्वास और उपलब्धि पूरे छत्तीसग
ढ़ ही नहीं बल्कि देशभर की महिलाओं के लिए प्रेरणादायक है।






