छत्तीसगढ़: रंजिश में 426 मासूमों की जिंदगी पर खतरा, भोजन में मिलाया गया फिनाइल – सतर्कता से टला बड़ा हादसा
छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में सोमवार को एक ऐसी घटना सामने आई जिसने पूरे प्रदेश को हिलाकर रख दिया। पाकेला स्थित पोटाकेबिन छात्रावास में रह रहे 426 मासूम बच्चों की जिंदगी पर उस समय बड़ा खतरा मंडराने लगा, जब उनके खाने में जहरीला केमिकल फिनाइल मिला दिया गया।
बच्चों को जैसे ही भोजन परोसा गया, अचानक उसमें से तेज और असामान्य गंध आने लगी। बच्चों ने तुरंत खाने से इनकार कर दिया और स्टाफ को इसकी सूचना दी। अगर बच्चों ने लापरवाही बरती होती और भोजन कर लिया होता तो यह घटना एक सामूहिक त्रासदी में बदल सकती थी। उनकी सूझबूझ और सतर्कता ने सैकड़ों परिवारों को रोने से बचा लिया।
आपसी रंजिश बनी बच्चों की जिंदगी के लिए खतरा
प्रारंभिक जांच में यह चौकाने वाला तथ्य सामने आया है कि एक शिक्षक और छात्रावास अधीक्षक के बीच चली आ रही पुरानी दुश्मनी इस खतरनाक साजिश की वजह बनी। आपसी रंजिश का खामियाजा मासूम बच्चों को भुगतना पड़ता, यह सोचकर ही दिल दहल उठता है। शिक्षा और संस्कार देने वाली जगह पर इतनी नीच हरकत ने सभी को हैरान कर दिया है।
छात्रावास में मचा हड़कंप
जैसे ही बच्चों ने मामले की जानकारी दी, छात्रावास परिसर में अफरा-तफरी मच गई। भोजन को तुरंत नष्ट कर दिया गया और इसकी खबर जिला अधिकारियों तक पहुंची। पूरे इलाके में इस घटना की चर्चा फैल गई और लोग दहशत में आ गए। बच्चों की सुरक्षा के साथ इस तरह का खिलवाड़ अब तक का सबसे बड़ा और हैरान करने वाला मामला माना जा रहा है।
प्रशासन हरकत में, उच्च स्तरीय जांच समिति गठित
घटना की गंभीरता को देखते हुए जिला प्रशासन ने तत्काल एक उच्चस्तरीय जांच समिति का गठन किया। टीम मौके पर पहुंची और बच्चों के साथ-साथ स्टाफ से भी पूछताछ की। प्रशासन ने साफ कर दिया है कि दोषियों की पहचान कर उन्हें किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।
जिला प्रशासन ने 48 घंटे के भीतर विस्तृत रिपोर्ट तलब की है। रिपोर्ट आने के बाद दोषियों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। अधिकारियों ने यह भी कहा कि बच्चों की जान से खिलवाड़ करने वाले चाहे कितने भी प्रभावशाली क्यों न हों, उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दिलाई जाएगी।
बच्चों की सतर्कता बनी मिसाल
इस घटना ने यह साबित कर दिया कि बच्चों को जागरूक बनाना कितना जरूरी है। अगर उन्होंने गंध को नजरअंदाज कर दिया होता, तो परिणाम बेहद भयावह हो सकते थे। यह सतर्कता आने वाले समय में भी बच्चों को सुरक्षा के प्रति सजग रहने की सीख देती है।
शिक्षा संस्थानों की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल
यह घटना सिर्फ एक अपराध भर नहीं है, बल्कि यह बच्चों की सुरक्षा व्यवस्था पर भी बड़े सवाल खड़े करती है। जब छात्रावास और विद्यालय जैसे सुरक्षित माने जाने वाले स्थानों पर ऐसी साजिशें हो सकती हैं, तो फिर बच्चों की सुरक्षा की गारंटी कौन देगा?
अब प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि वह छात्रावासों और स्कूलों में सुरक्षा व निगरानी प्रणाली को और मजबूत करे। CCTV कैमरे, भोजन की नियमित जांच और कर्मचारियों की कड़ी मॉनिटरिंग जैसी व्यवस्थाएँ अनिवार्य रूप से लागू करनी होंगी।

