कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी ने जुनवानी में किया डिजिटल क्रॉप सर्वे का निरीक्षण, किसानों के लिए नई तकनीक बनेगी बदलाव की राह
रायगढ़, 25 अगस्त 2025 – कृषि क्षेत्र को आधुनिक बनाने की दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए रायगढ़ जिले में डिजिटल क्रॉप सर्वे की शुरुआत की गई है। सोमवार को कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी ने रायगढ़ तहसील के जुनवानी गांव में पहुंचकर इस सर्वे का निरीक्षण किया। इस दौरान उनके साथ सहायक कलेक्टर अक्षय डोसी, अपर कलेक्टर रवि राही और तहसीलदार शिव डनसेना भी मौजूद रहे।
खेतों में पहुंचकर लिया जायजा
निरीक्षण के दौरान कलेक्टर चतुर्वेदी ने सीधे खेतों में जाकर सर्वेयरों द्वारा मोबाइल एप पर दर्ज किए जा रहे डेटा को देखा। उन्होंने स्वयं भी एक खेत में खड़ी फसल का सर्वे कर मोबाइल एप में जानकारी अपडेट की।
उन्होंने उपस्थित कर्मचारियों और सर्वेयरों को स्पष्ट निर्देश दिए कि –
“सर्वे का काम पूरी ईमानदारी और बिना किसी गलती के करें, ताकि किसानों को सही लाभ मिल सके।”
डिजिटल क्रॉप सर्वे क्यों है खास?
यह व्यवस्था पारंपरिक पद्धति से अलग है क्योंकि इसमें मोबाइल एप और तकनीक का उपयोग किया जा रहा है।
सर्वेयर खेत में जाकर फसल और जमीन की वास्तविक जानकारी एग्रीटेक एप में दर्ज करेंगे।
खेत और फसल की फोटो तुरंत अपलोड होगी, जिसे बाद में पटवारी और वरिष्ठ अधिकारी सत्यापित करेंगे।
इस प्रक्रिया से फसल का सटीक आकलन और जमीन की सही जानकारी उपलब्ध होगी।
किसानों को क्या होंगे फायदे?
डिजिटल सर्वे का सबसे बड़ा लाभ सीधे किसानों को मिलेगा।
फसल बीमा और क्षति आकलन पारदर्शी तरीके से होगा।
पात्र किसानों को कृषि योजनाओं का लाभ पहले से ज्यादा तेजी से मिलेगा।
धान खरीदी और कृषि नीति और अधिक प्रभावी बन पाएगी।
किसानों को समय पर तकनीकी मार्गदर्शन और आर्थिक सहायता उपलब्ध होगी।
प्रशासन की सोच और किसानों की उम्मीदें
कलेक्टर चतुर्वेदी ने कहा –
“डिजिटल क्रॉप सर्वे भविष्य की कृषि नीतियों को और मजबूत बनाएगा। यह किसानों के लिए बेहद लाभकारी है और आने वाले समय में उनकी समस्याओं को कम करेगा।”
गांव के किसानों ने भी इस पहल का स्वागत किया। उनका मानना है कि जब खेतों की वास्तविक स्थिति सीधे प्रशासन तक पहुंचेगी तो फसल बीमा, राहत राशि और योजनाओं का लाभ पाने में अब पहले जैसी देरी और परेशानी नहीं होगी।
क्यों है यह पहल महत्वपूर्ण?
भारत जैसे कृषि प्रधान देश में फसल के सटीक आकलन और किसानों तक योजनाओं के सही क्रियान्वयन की चुनौती हमेशा से रही है। डिजिटल तकनीक के आने से अब किसानों की मेहनत का सही मूल्यांकन होगा और कृषि से जुड़ी नीतियां ज्यादा पारदर्शी और प्रभावी बनेंगी।

