90% बच्चों के आधार कार्ड रिजेक्ट – माता-पिता परेशान, सिस्टम पर उठ रहे सवाल
रायपुर, 26 अगस्त
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में बच्चों के आधार कार्ड बनाने की प्रक्रिया अब माता-पिता के लिए सिरदर्द बन चुकी है। सरकार ने बच्चों की शिक्षा और मूल्यांकन के लिए APAR (Academic Performance and Assessment Record) तैयार करने की योजना शुरू की है, जिसके लिए आधार कार्ड अनिवार्य किया गया है। लेकिन बच्चों के आधार कार्ड बनवाने की प्रक्रिया में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है।
क्या है मामला?
मार्च महीने में रायपुर जिले के हजारों बच्चों के आधार कार्ड के लिए आवेदन जमा किए गए थे।
लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से करीब 90% बच्चों के आधार कार्ड रिजेक्ट हो गए।
अब माता-पिता को मजबूरन बच्चों को लेकर फिर से आधार केंद्रों की लंबी कतारों में खड़ा होना पड़ रहा है।
माता-पिता की परेशानियाँ
आवेदन रिजेक्ट क्यों हुए, इसकी कोई स्पष्ट वजह नहीं बताई जा रही।
आधार केंद्र से समाधान भी नहीं मिल रहा, सिर्फ़ दोबारा नया आवेदन करने की सलाह दी जा रही है।
बच्चों को बार-बार आधार केंद्र ले जाना पड़ रहा है, जिससे पढ़ाई और समय दोनों प्रभावित हो रहे हैं।
जेब पर अतिरिक्त बोझ
बच्चों का आधार कार्ड बनवाने के लिए पहले ही ₹50 प्रति बच्चा शुल्क लिया गया था।
अब रिजेक्शन की वजह से यह पैसा भी बर्बाद हो गया है।
स्कूलों के दबाव में माता-पिता को फिर से वही शुल्क देकर नया आवेदन करना पड़ रहा है।
एक परिवार में यदि दो या तीन बच्चे हैं, तो खर्च कई गुना बढ़ जाता है।
बड़ा सवाल – सिस्टम की गलती या प्रक्रिया की गड़बड़ी?
लोगों का कहना है कि अगर एक ही केंद्र में 90% आवेदन रिजेक्ट हो गए हैं, तो पूरे प्रदेश में स्थिति कितनी भयावह होगी, यह सोचकर ही चिंता होती है।
कई विशेषज्ञों का मानना है कि या तो सिस्टम में तकनीकी खराबी है, या फिर आवेदन प्रक्रिया में लापरवाही बरती जा रही है।
आम जनता की मांग
माता-पिता और अभिभावकों ने सरकार से मांग की है कि –
रिजेक्शन की असली वजह स्पष्ट की जाए।
जिनका आवेदन रिजेक्ट हुआ है, उन्हें दोबारा शुल्क न देना पड़े।
प्रक्रिया को आसान और पारदर्शी बनाया जाए।
बच्चों के आधार कार्ड से जुड़ी यह समस्या केवल माता-पिता की परेशानी नहीं है, बल्कि बच्चों की पढ़ाई और भविष्य से भी जुड़ा मुद्दा है। सरकार को चाहिए कि इस समस्या का तुरंत समाधान निकाले, ताकि “आधार कार्ड रिजेक्ट” जैसी परेशानी से परिवारों को बार-बार न गुजरना पड़े।

