माओवादी से इंस्पेक्टर बने संजय पोटाम को तीसरी बार राष्ट्रपति वीरता पदक
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा से एक बार फिर वीरता और साहस की कहानी सामने आई है। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति वीरता पदक की घोषणा हुई, जिसमें जिले के नौ पुलिस अफसर और जवान शामिल हैं। सबसे खास नाम है निरीक्षक संजय पोटाम का, जिन्हें यह सम्मान तीसरी बार मिल रहा है।
माओवादी से पुलिस अफसर तक का सफर
संजय पोटाम कभी माओवादी संगठन में कमांडर थे। जनवरी 2013 में उन्होंने हथियार छोड़कर मुख्यधारा से जुड़ने का फैसला किया और पुलिस विभाग का हिस्सा बने। इसके बाद उन्होंने कई सफल ऑपरेशनों में हिस्सा लिया और बस्तर की सुरक्षा में अहम योगदान दिया।
सरकार ने उनके साहस और उपलब्धियों को देखते हुए उन्हें कई बार आउट ऑफ टर्न प्रमोशन दिया। आज वे दंतेवाड़ा जिले में डीआरजी (District Reserve Guard) का नेतृत्व कर रहे हैं।
अब माओवादियों के खिलाफ गरजती है उनकी बंदूक
कभी सरकार के खिलाफ हथियार उठाने वाले संजय पोटाम अब माओवादियों के खिलाफ मोर्चा संभाले हुए हैं। कई बड़े अभियानों में वे रणनीतिकार और सूत्रधार की भूमिका निभा चुके हैं। उनकी अगुवाई में माओवादियों को करारी शिकस्त मिली है।
बिरले उदाहरण
बस्तर में माओवादियों के आत्मसमर्पण और पुलिस में भर्ती होने की कई कहानियाँ हैं, लेकिन संजय पोटाम का सफर अनोखा है। एक समय खूंखार नक्सली कमांडर रहे संजय आज एक सफल पुलिस अफसर हैं और राष्ट्रपति वीरता पदक जैसे उच्च सम्मान उनके जज़्बे की गवाही देते हैं।

