छत्तीसगढ़-बस्तर में 'कन्नड़-छत्तीसगढ़ी संगम' : एक भारत, श्रेष्ठ भारत की अनूठी मिसाल
तारीख: 9-10 अगस्त 2025
स्थान: चित्रकोट जलप्रपात, बस्तर, छत्तीसगढ़
विशेष दिन: विश्व आदिवासी दिवस (9 अगस्त)
✨ भाषाई और सांस्कृतिक एकता का उत्सव
छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में स्थित सुरम्य चित्रकोट जलप्रपात के पास पहली बार आयोजित हो रहा है एक ऐतिहासिक आयोजन — कन्नड़-छत्तीसगढ़ी संगम। यह मेला भारत की सांस्कृतिक विविधता और भाषाई समरसता को एक मंच पर लाकर प्रस्तुत करता है।
यह आयोजन सिर्फ एक सांस्कृतिक महोत्सव नहीं, बल्कि 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' की भावना को मजबूत करने की दिशा में एक सार्थक पहल है।
🌍 संगम में क्या-क्या होगा खास?
सांस्कृतिक कार्यक्रम:
गोंड और हलबी जनजातियों के पारंपरिक नृत्य प्रदर्शन
कर्नाटक की प्रसिद्ध कलाएं जैसे यक्षगान और डोल्लु कुनिथा
देशी और पारंपरिक वाद्ययंत्रों का सजीव प्रदर्शन
🍲 स्थानीय व्यंजन और स्वाद:
छत्तीसगढ़ी पारंपरिक भोजन का तड़का
कन्नड़ व्यंजनों की झलक
🌊 जल संगम की अनूठी शुरुआत:
कार्यक्रम की शुरुआत महानदी, कावेरी और तुंगभद्रा के जल को इन्द्रावती नदी में प्रवाहित कर एक प्रतीकात्मक जल-संगम के रूप में होगी, जो देश के सभी नागरिकों की एकता का प्रतीक है।
🎯 आयोजन का उद्देश्य
इस अनूठे आयोजन का मुख्य उद्देश्य है:
भारत की भाषाई और सांस्कृतिक विविधता का उत्सव मनाना
आदिवासी संस्कृति और दक्षिण भारतीय परंपराओं को जोड़ना
नागरिक भागीदारी और राष्ट्र निर्माण को बढ़ावा देना
'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' मिशन को जन-जन तक पहुँचाना
आयोजकों की सोच
आकाश वर्मा और सीमा वर्मा, जो इस आयोजन के मुख्य संयोजक हैं, बताते हैं कि यह सिर्फ एक धार्मिक या सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण की सोच को साकार करने का प्रयास है।
इस आयोजन की प्रेरणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘काशी-तमिल संगमम्’ और ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ मिशन से ली गई है।
चित्रकोट की पृष्ठभूमि में ऐतिहासिक पल
90 फीट ऊँचे जलप्रपात की पृष्ठभूमि में जब कन्नड़ और छत्तीसगढ़ी कलाएं एक साथ मंच पर आएंगी, तब यह नजारा पर्यटकों और स्थानीयों के लिए अविस्मरणीय बन जाएगा।
यह आयोजन न केवल पर्यटन को बढ़ावा देगा, बल्कि स्थानीय कलाकारों और हस्तशिल्पियों के लिए नए अवसर भी खोलेगा।

