छत्तीसगढ़ के किसान ने विकसित की विष्णुभोग धान की नई प्रजाति, किसानों को मिलेगा बड़ा लाभ

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 छत्तीसगढ़ के किसान ने विकसित की विष्णुभोग धान की नई प्रजाति, किसानों को मिलेगा बड़ा लाभ


छत्तीसगढ़ के किसान ने विकसित की विष्णुभोग धान की नई प्रजाति, किसानों को मिलेगा बड़ा लाभ


Surya News Raigarh | बलरामपुर


छत्तीसगढ़ हमेशा से धान का कटोरा कहलाता रहा है। यहां के किसानों ने समय-समय पर ऐसी उपलब्धियां हासिल की हैं जिनसे राज्य और देश का नाम रोशन हुआ है। बलरामपुर जिले के ग्राम सिंगचौरा के नवाचारी किसान रामेश्वर तिवारी ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि मेहनत और नवाचार से खेती-किसानी को नई दिशा दी जा सकती है।


रामेश्वर तिवारी ने सरगुजा और छत्तीसगढ़ क्षेत्र के प्रसिद्ध सुगंधित विष्णुभोग धान की एक नई और बेहतर प्रजाति विकसित की है, जिसे अब उनके नाम पर "रामेश्वर विष्णुभोग" के नाम से पंजीकृत किया गया है। भारत सरकार के पौध किस्म संरक्षण और कृषक अधिकार प्राधिकरण ने इस किस्म का पंजीयन किया है। इसके साथ ही, रामेश्वर तिवारी को अगले 6 वर्षों तक इस धान की ब्रांडिंग और मार्केटिंग का विशेष अधिकार प्रदान किया गया है।

क्यों खास है ‘रामेश्वर विष्णुभोग’?

✔️ सामान्य विष्णुभोग की तरह ही इसमें भी गजब की सुगंध और मिठास है।

✔️ प्रति एकड़ औसतन 15 क्विंटल उत्पादन होता है।

✔️ पौधों की ऊँचाई कम होने के कारण तेज हवाओं में फसल गिरती नहीं।

✔️ कम पानी में भी इसकी खेती संभव है।

✔️ मौसम की विपरीत परिस्थितियों को झेलने में सक्षम।

हाईब्रीड बनाम रामेश्वर विष्णुभोग

हाईब्रीड धान में उत्पादन तो अधिक (25-30 क्विंटल प्रति एकड़) होता है, लेकिन बाजार भाव सिर्फ 31 रुपये/किलो मिलता है।


वहीं, रामेश्वर विष्णुभोग का उत्पादन कम (15 क्विंटल प्रति एकड़) होता है, लेकिन यह 70 रुपये/किलो में बिकता है।

👉 इस लिहाज से किसानों को प्रति एकड़ औसतन 1.05 लाख रुपये का लाभ होता है, जो हाईब्रीड धान से कहीं अधिक है।

विलुप्ति से संरक्षण तक


उत्तर छत्तीसगढ़ में कभी विष्णुभोग धान की सुगंध हर घर तक पहुंचती थी। लेकिन समय के साथ कम उत्पादन और हाईब्रीड किस्मों की अधिकता के कारण किसान इसकी खेती छोड़ते जा रहे थे। यह धान अब विलुप्ति की कगार पर था।

रामेश्वर तिवारी ने इस स्थिति को बदलने का बीड़ा उठाया और उन पौधों का संरक्षण किया जिनकी ऊंचाई कम थी और उत्पादन बेहतर था।


उनके प्रयासों से न सिर्फ धान की नई किस्म का जन्म हुआ, बल्कि अब किसान भी इसे उगाकर लाभ और पहचान दोनों कमा सकते हैं।

वैज्ञानिकों का योगदान


रामेश्वर तिवारी ने इस नवाचार के लिए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के वैज्ञानिकों – डॉ. दीपक शर्मा और डॉ. अरुण त्रिपाठी – से मार्गदर्शन लिया। विशेषज्ञों के सहयोग से पंजीयन प्रक्रिया पूरी हुई और अब यह धान किसानों की नई उम्मीद बन गई है।

किसानों के लिए बड़ा अवसर


‘रामेश्वर विष्णुभोग’ का पंजीयन होने से अब किसान इस धान की खेती कर सकते हैं और इसे ब्रांडिंग व मार्केटिंग के जरिए पूरे देश तक पहुंचा सकते हैं। किसी संस्था या कंपनी से जुड़कर काम करने पर किसानों को अतिरिक्त लाभांश भी मिलेगा।

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