ED Raid in Chhattisgarh DMF Scam : रायगढ़ कनेक्शन आया सामने
Surya News Raigarh | रायगढ़, 04 सितम्बर 2025
छत्तीसगढ़ का बहुचर्चित डीएमएफ (District Mineral Foundation) घोटाला एक बार फिर सुर्खियों में है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ताजा कार्रवाई ने न सिर्फ कोरबा बल्कि रायगढ़ जिले तक इस बड़े घोटाले के तार जोड़ दिए हैं। बताया जा रहा है कि यह घोटाला लगभग ₹575 करोड़ रुपये का है, जिसमें फर्जी कंपनियों, बिना टेंडर सप्लाई और बिचौलियों का पूरा नेटवर्क काम कर रहा था।
छापेमारी और शुरुआती खुलासा
बुधवार सुबह ईडी की टीम ने रायपुर, दुर्ग, भिलाई, बिलासपुर और राजिम समेत 18 ठिकानों पर एक साथ छापे मारे। इस दौरान बड़ी मात्रा में दस्तावेज, फर्जी बिल और डिजिटल डेटा जब्त किए गए। कार्रवाई का केंद्र कोरबा जिला माना जा रहा है, लेकिन अब जांच में रायगढ़ कनेक्शन भी सामने आया है, जिससे हड़कंप मच गया है।
रायगढ़ सप्लायर का नाम सामने आया
जांच में पता चला है कि रायगढ़ शहर के कोतरा रोड निवासी एक पूर्व सप्लायर का नाम इस घोटाले में शामिल है। यह व्यक्ति लंबे समय से अलग-अलग विभागों में सप्लाई का काम करता रहा और अचानक उसकी संपत्ति में भारी इजाफा देखा गया। अब GST विभाग भी उसकी इनकम और पेमेंट्स की जांच कर रहा है।
बिना टेंडर सप्लाई और फर्जी कंपनियों का जाल
इस पूरे घोटाले में कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं—
कृषि उपकरणों की सप्लाई बिना टेंडर प्रक्रिया के कराई गई।
फर्जी कंपनियों और नकली बिलों के जरिए सरकारी फंड को गबन किया गया।
ठेकेदारों और बिचौलियों को फायदा पहुँचाने के लिए नियमों की अनदेखी की गई।
मुख्य सप्लायर्स: संजय शिंदे, अशोक कुमार अग्रवाल, मुकेश कुमार अग्रवाल, ऋषभ सोनी
बिचौलिये: मनोज द्विवेदी, रवि शर्मा, पीयूष सोनी, पीयूष साहू, अब्दुल, शेख
धरमजयगढ़ का मामला
वर्ष 2022-23 में धरमजयगढ़ जनपद पंचायत के तहत वन अधिकार पट्टाधारकों को कृषि उपकरण उपलब्ध कराए गए।
1906 हितग्राहियों को उपकरण मिले।
कुल ठेका राशि ₹8.51 करोड़, जो सांई इंटरप्राइजेस को दिया गया।
प्रत्येक उपकरण सेट की कीमत ₹44,700 तय की गई।
अब तक ₹5.12 करोड़ का भुगतान हो चुका है
यहां भी सप्लाई और बिलिंग में भारी गड़बड़ियों का आरोप है।
फर्जी कंपनियों का पर्दाफाश
अगस्त 2023 में सेंट्रल GST टीम ने इस घोटाले से जुड़े फर्जी कंपनियों का खुलासा किया।
संजय शिंदे से जुड़ी चार कंपनियाँ—
1. मेसर्स ज्योति ट्रेडिंग कंपनी
2. मेसर्स क्लिफो ट्रेडिंग कंपनी
3. मेसर्स एसएस एंटरप्राइजेस
4. मेसर्स सांई इंटरप्राइजेस
इन कंपनियों के जरिए 22 फर्जी फर्मों के नाम पर नकली बिल बनाए गए और ₹10.14 करोड़ का ITC (इनपुट टैक्स क्रेडिट) लिया गया।
आईएएस अधिकारियों की संलिप्तता
ईडी की जांच में सामने आया कि निलंबित आईएएस रानू साहू (पूर्व संचालक कृषि) के कार्यकाल में कई संदिग्ध आदेश जारी हुए। इन्हीं आदेशों के तहत कोरबा, रायगढ़, जांजगीर-चांपा समेत कई जिलों में करोड़ों रुपये की कृषि उपकरण और पेस्टीसाइड सप्लाई कराई गई।
बड़ा सवाल
क्या इस बड़े घोटाले में शामिल दोषियों को सख्त सजा मिलेगी?
क्या खनन प्रभावित क्षेत्रों के लिए जारी DMF फंड अब अपने असली हकदारों तक पहुँच पाएंगे?
या फिर यह मामला भी सिर्फ फाइलों तक सीमित रह जाएगा?
यह स्पष्ट हो चुका है कि DMF स्कैम केवल कोरबा तक सीमित नहीं है, बल्कि रायगढ़ समेत कई जिलों तक फैला हुआ है। ईडी और जीएसटी विभाग की संयुक्त कार्रवाई से यह सामने आया है कि यह घोटाला योजनाबद्ध और संगठित तरीके से किया गया। अब राज्य सरकार
और जांच एजेंसियों की जिम्मेदारी है कि वे इस भ्रष्टाचार की जड़ तक पहुँचें और दोषियों को कड़ी सजा दिलाएँ।


