ADEO भर्ती परीक्षा में फर्जी डिग्री का मामला, प्रदेश स्तर पर शुरू हुई जांच – निजी विश्वविद्यालयों पर उठे सवाल
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छत्तीसगढ़ में सहायक विकास विस्तार अधिकारी (ADEO भर्ती परीक्षा 2025) को लेकर बड़ा विवाद सामने आया है। परीक्षा परिणाम जारी होने के बाद कई अभ्यर्थियों ने फर्जी डिग्री और डिप्लोमा के आधार पर बोनस अंक दिए जाने पर आपत्ति जताई। इस शिकायत के बाद अब प्रदेश स्तर पर जांच शुरू कर दी गई है।
ADEO परीक्षा और बोनस अंक विवाद
व्यापमं द्वारा आयोजित इस परीक्षा में कुल 200 पदों पर भर्ती की जानी है। नियमों के अनुसार ग्रामीण विकास (Rural Development) विषय में PGDRD, MARD, MSc (Social Science) या संबंधित डिप्लोमा धारकों को 15 अतिरिक्त बोनस अंक दिए जाते हैं।
उदाहरण के तौर पर – यदि किसी अभ्यर्थी ने लिखित परीक्षा में 60 अंक प्राप्त किए हैं और उसके पास मान्य डिग्री है, तो उसकी मेरिट लिस्ट में कुल 75 अंक दर्ज होंगे। यही बोनस अंक अब विवाद का कारण बने हैं।
अभ्यर्थियों का आरोप – फर्जी डिग्री से मिली मेरिट में बढ़त
कई उम्मीदवारों ने RTI लगाकर खुलासा किया कि कुछ अभ्यर्थियों ने फर्जी डिग्री और डिप्लोमा प्रस्तुत कर बोनस अंक हासिल किए। आरोप यह भी है कि कुछ विश्वविद्यालयों ने UGC नियमों के विपरीत डिस्टेंस और प्राइवेट मोड में डिग्रियां बांटीं, जबकि उन्हें केवल रेगुलर मोड में कोर्स संचालित करने की मान्यता थी।
शिकायतकर्ताओं ने यह भी स्पष्ट किया कि केवल इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (IGNOU) ही डिस्टेंस और प्राइवेट मोड में ग्रामीण विकास विषय की डिग्री प्रदान करने के लिए अधिकृत है।
उच्च शिक्षा विभाग की जांच और विश्वविद्यालयों की सूची
शिकायत के बाद उच्च शिक्षा विभाग ने राज्य के विश्वविद्यालयों से जानकारी मांगी और 17 निजी विश्वविद्यालयों व 9 शासकीय विश्वविद्यालयों की सूची तैयार की।
सात विश्वविद्यालयों ने स्पष्ट किया कि उनके यहां ग्रामीण विकास विषय में न तो डिग्री संचालित है और न ही डिप्लोमा।
10 निजी विश्वविद्यालयों ने जानकारी अपडेट नहीं भेजी है।
आरोपित विश्वविद्यालय भी इसी सूची में शामिल हैं।
निजी विश्वविद्यालयों पर शक की सुई
मामले की जांच में सबसे ज्यादा सवाल निजी विश्वविद्यालयों पर उठ रहे हैं। खासकर वे विश्वविद्यालय जो पहले से ही ऑफ-कैंपस और डिस्टेंस मोड में नियमों के विरुद्ध कोर्स संचालित करने को लेकर विवादों में रहे हैं।
उच्च शिक्षा विभाग ने यह साफ कर दिया है कि केवल वही डिग्री और डिप्लोमा मान्य होंगे जो मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों द्वारा नियमित मोड से संचालित किए गए हैं।
आगे क्या?
अगर जांच में यह साबित होता है कि कुछ विश्वविद्यालयों ने बिना मान्यता के ग्रामीण विकास (Rural Development) कोर्स चलाकर प्रमाण पत्र जारी किए, तो उन पर कड़ी कार्रवाई हो सकती है। साथ ही फर्जी डिग्री से फायदा पाने वाले अभ्यर्थियों की भर्ती भी रद्द की जा सकती है।

