घोटालेबाज़ के बेटे की ताजपोशी — तुरेकेला समिति की नियुक्ति ने खोली सहकारिता विभाग की पोल
खरसिया, 15 अक्टूबर 2025
खरसिया विकासखंड की तुरेकेला आदिम जाति सेवा सहकारी समिति में हालिया प्रबंधक नियुक्ति ने विभाग की कार्यप्रणाली पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। कुछ ही महीने पहले इस समिति पर करोड़ों रुपये के धान घोटाले की गंभीर आरोपों के बाद तत्कालीन प्रबंधक तिहारु राम जायसवाल को बर्खास्त कर थाना में मामला दर्ज किया गया था — लेकिन अब वही व्यवस्था एक नया विवाद खड़ा कर रही है। आरोपित पूर्व प्रबंधक के पुत्र डमरु जायसवाल को समिति का नया प्रबंधक नियुक्त कर दिया गया है, जिससे ग्रामीणों और स्थानीय संगठनों में आक्रोश बढ़ गया है।
धान घोटाले की मुख्य बातें
वर्ष 2024-25 की धान खरीदी जांच रिपोर्ट के अनुसार समिति से 22,389 बोरी (8,955.55 क्विंटल) धान कम पाया गया।
रिपोर्ट में 9,867 नए बारदाने और 6,376 पुराने मिलर बारदानों में हेराफेरी के भी प्रमाण सामने आए।
इन अनियमितताओं का सीधा आर्थिक नुकसान करोड़ों रुपये का आंका गया; इसी के चलते तिहारु राम जायसवाल को बर्खास्त कर थाना खरसिया में मुकदमा दर्ज कराया गया था।
नियुक्ति पर उठते सवाल
स्थानीय लोगों और समाजसेवी संगठनों का कहना है कि जिन परिवारों पर गबन के आरोप हैं, उनके सदस्यों को किसी भी पद पर नियुक्त करना प्रशासनिक और नैतिक तौर पर अनुचित है। ग्रामीणों ने पूछा है: “जिसने संस्था को नुकसान पहुँचाया, उसके बेटे को उसी मंच पर कैसे बैठाया जा सकता है?” शिकायत यह भी है कि डमरु जायसवाल के पास आवश्यक अनुभव और पात्रता नहीं है, फिर भी उन्हें प्रबंधक बनाया गया।
भाजयुमो का विरोध और अधिकारियों को ज्ञापन
भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) के अध्यक्ष रविंद्र जीवन गबेल ने इस नियुक्ति को कानूनी व नैतिक रूप से गलत करार दिया। उन्होंने एसडीओ खरसिया को ज्ञापन सौंपते हुए सत्यापन और नियुक्ति रद्द करने की मांग की। ज्ञापन की प्रतिलिपि कलेक्टर रायगढ़, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, वित्त मंत्री ओ.पी. चौधरी और प्रभारी मंत्री रामविचार नेताम को भी भेजी गई है। भाजयुमो का कहना है कि जब तक पूर्व प्रबंधक से वसूली न हो और जांच पूरी न हो, तब तक संबंधित परिजनों को किसी भी पद पर नहीं बैठाया जाना चाहिए।
व्यापक नाराज़गी — सड़क आन्दोलन की चेतावनी
ग्रामीणों में भरोसा टूटने की बात सामने आई है। लोगों का आरोप है कि ऐसे विवादास्पद नियुक्तियाँ ऊपर से संरक्षण का संकेत देती हैं। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि यह नियुक्ति वापस नहीं ली गई, तो वे सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करेंगे और उच्चस्तरीय जांच तथा जवाबदेही की मांग करेंगे।
“खरसिया: धान घोटाले के बाद आरोपित प्रबंधक के बेटे को समिति का नया प्रबंधक — ग्रामीण व भाजयुमो ने किया तीखा विरोध।क्या प्रशासन बताएगा जवाब?”
क्या सरकार कार्रवाई करेगी?
सूत्र बताते हैं कि आसपास की अन्य समितियों — जैसे चपले समिति — में भी समान नियुक्ति प्रक्रियाओं पर सवाल उठ रहे हैं। यदि सरकार सचमुच भ्रष्टाचार मुक्त शासन चाहती है, तो इन मामलों में पारदर्शिता और त्वरित जांच दिखानी होगी। अब देखना बाकी है कि प्रशासन जनता की आवाज़ को सुनकर नियुक्ति रद्द करता है
या यह नियुक्ति कायम रहती है।


