छत्तीसगढ़: 1 सितम्बर से प्राइवेट अस्पतालों में आयुष्मान कार्ड से इलाज बंद, IMA ने बताई बड़ी वजह
रायपुर, 24अगस्त 2025। छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर बड़ा संकट खड़ा हो गया है। प्रदेश के लाखों मरीजों को फायदा पहुँचाने वाली आयुष्मान भारत योजना के तहत अब प्राइवेट अस्पतालों में कैशलेस इलाज की सुविधा 1 सितम्बर 2025 से बंद हो जाएगी। यह फैसला इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने लिया है, जिससे गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों में चिंता बढ़ गई है।
IMA का ऐलान: क्यों लिया गया यह कदम?
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने साफ कहा है कि बीते कई महीनों से प्राइवेट अस्पतालों को आयुष्मान योजना के तहत इलाज का भुगतान नहीं मिल रहा है।
करीब 6 महीने से अस्पतालों के करोड़ों रुपये अटके हुए हैं।
बार-बार मांग करने के बावजूद लंबित राशि का भुगतान नहीं किया गया।
नतीजा यह हुआ कि प्राइवेट अस्पतालों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है और वे अब कैशलेस इलाज जारी नहीं रख सकते।
IMA के मुताबिक, सरकार द्वारा भुगतान रोक देने से अस्पतालों का संचालन मुश्किल हो गया है। दवाइयों, मशीनों और स्टाफ के खर्च पूरे करने में दिक्कत हो रही है, इसी कारण 1 सितम्बर से कैशलेस सुविधा बंद करने का ऐलान करना पड़ा।
सबसे ज्यादा असर किस पर होगा?
इस निर्णय का सीधा असर उन लाखों मरीजों पर पड़ेगा जो प्राइवेट अस्पतालों में आयुष्मान कार्ड से मुफ्त या कैशलेस इलाज करवाते थे।
गरीब वर्ग – जिनके पास बड़े अस्पतालों में इलाज कराने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं है।
मिडिल क्लास मरीज – जो आयुष्मान कार्ड से अपना बोझ कम करते थे।
गंभीर बीमारियों के मरीज – कैंसर, हार्ट और किडनी जैसी बीमारियों में कैशलेस इलाज रुकने से मरीजों की परेशानी और बढ़ जाएगी
सरकार से समाधान की उम्मीद
IMA ने साफ किया है कि यह फैसला स्थायी नहीं है। यदि सरकार जल्द ही बकाया भुगतान की समस्या का समाधान कर देती है, तो प्राइवेट अस्पताल फिर से आयुष्मान कार्ड से इलाज शुरू कर सकते हैं।
फिलहाल IMA और सरकार के बीच बातचीत की उम्मीद जताई जा रही है, लेकिन तब तक मरीजों को सरकारी अस्पतालों का रुख करना पड़ सकता है।
आयुष्मान योजना का महत्व
आयुष्मान भारत योजना को केंद्र सरकार ने देशभर में गरीब और जरूरतमंद परिवारों को स्वास्थ्य सुरक्षा देने के लिए शुरू किया था।
इस योजना के तहत परिवारों को 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज मिलता है।
छत्तीसगढ़ में अब तक लाखों मरीज इस योजना का लाभ उठा चुके हैं।
खासकर ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लोग इससे सबसे ज्यादा लाभान्वित होते आए हैं।
आगे क्या?
अब सबकी नजर सरकार और IMA के बीच होने वाली बातचीत पर है। यदि समाधान निकलता है तो मरीजों को राहत मिलेगी, लेकिन अगर स्थिति जस की तस रही तो 1 सितम्बर से प्राइवेट अस्पतालों में इलाज के लिए मरीजों को अपनी जेब से भुगतान करना होगा।

