शराब के खिलाफ सड़क पर उतरीं महिलाएं: "सुधर जाओ, नहीं तो सुधार देंगे"
पाली, 24 अगस्त 2025। छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में शराबबंदी को लेकर महिलाओं का गुस्सा अब खुलकर सामने आने लगा है। रविवार की सुबह पाली विकासखंड की केराझरिया पंचायत में एक अनोखा नजारा देखने को मिला, जब बारिश के बीच 100 से अधिक महिलाएँ छाता लेकर गांव की सड़कों पर रैली निकालती नजर आईं। इन महिलाओं ने जोरदार नारेबाजी करते हुए शराबबंदी की मांग की और शराब बेचने वालों को सख्त चेतावनी दी –
"सुधर जाओ, नहीं तो सुधार देंगे।"
शराब के खिलाफ महिलाओं का गुस्सा क्यों फूटा?
ग्रामीण महिलाओं ने कहा कि गाँव में अवैध शराब कारोबार तेजी से फैल रहा है, जिसका सबसे ज्यादा नुकसान परिवार और समाज को हो रहा है।
बच्चे और युवा नशे की गिरफ्त में आ रहे हैं।
बुजुर्ग और मजदूर वर्ग भी शराब की लत से प्रभावित हो रहे हैं।
घरों में कलह और महिलाओं पर हिंसा की घटनाएँ बढ़ रही हैं।
बच्चों का भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है
महिलाओं ने कहा कि अब और चुप नहीं रहा जाएगा। अगर प्रशासन ने कार्रवाई नहीं की तो वे स्वयं आंदोलन को और तेज करेंगी।
रैली का नेतृत्व और महिलाएँ जो बनीं आवाज
इस रैली का नेतृत्व ग्राम पंचायत केराझरिया की सरपंच गिरजा पैखरा ने किया। उनके साथ गांव की कई महिलाएँ शामिल रहीं जिनमें –
संतोषी
रूखमणी कंवर
सुमित्रा
रूखमणी मंहत
अवध बाई
अनिता
अंजू
निरा पैखरा
प्रीति मनिकापुर
संतोषी मनियारी
सहित बड़ी संख्या में माताएँ, बहुएँ और बेटियाँ शामिल थीं।
इन महिलाओं ने गाँव-गाँव घूमकर लोगों को नशे से दूर रहने की अपील की और शराबबंदी का संदेश दिया।
महिलाओं की पीड़ा: "शराब ने घरों की खुशियाँ छीनी हैं"
रैली के दौरान महिलाओं ने खुलकर अपनी पीड़ा जाहिर की। उनका कहना था कि शराब ने कई परिवारों की खुशियाँ छीन ली हैं।
परिवार टूट रहे हैं।
घरेलू हिंसा बढ़ रही है।
महिलाएँ असुरक्षित महसूस कर रही हैं।
बच्चों की पढ़ाई और भविष्य प्रभावित हो रहा है।
सरपंच गिरजा पैखरा ने कहा –
"शराब केवल परिवार ही नहीं, पूरे समाज को खोखला कर रही है। हमने ठान लिया है कि अपने बच्चों के भविष्य और गाँव की शांति के लिए इस जहर को गाँव से जड़ से खत्म करना है।"
गांव में माहौल और प्रतिक्रिया
महिलाओं के इस साहसिक कदम से गाँव के शराब विक्रेताओं में हड़कंप मच गया है। वहीं ग्रामीणों ने भी महिलाओं की इस पहल का स्वागत किया है और उन्हें समर्थन देने का भरोसा दिलाया है।
कई युवाओं ने कहा कि वे भी इस अभियान में सहयोग करेंगे।
गाँव के बुजुर्गों ने इसे समाज सुधार की दिशा में मजबूत कदम बताया।
प्रशासन से भी जल्द से जल्द इस मामले में कार्रवाई की अपील की गई।
क्यों जरूरी है शराबबंदी?
विशेषज्ञों और समाजसेवियों का मानना है कि शराब सिर्फ स्वास्थ्य के लिए ही नहीं, बल्कि सामाजिक ताने-बाने के लिए भी खतरनाक है।
यह गरीबी और कर्ज को बढ़ाती है।
अपराध और घरेलू हिंसा की जड़ बनती है।
बच्चों के जीवन पर नकारात्मक असर डालती है।
केराझरिया की महिलाओं की यह पहल आने वाले समय में पूरे क्षेत्र में शराबबंदी आंदोलन का रूप ले सकती है।

