बीजापुर में माओवादियों का खूनी खेल: एक और शिक्षा दूत की हत्या, 2023 से अब तक 9 बने निशाना

SURYA NEWS RAIGARH
0

 बीजापुर में माओवादियों का खूनी खेल: एक और शिक्षा दूत की हत्या, 2023 से अब तक 9 बने निशाना

बीजापुर में माओवादियों का खूनी खेल: एक और शिक्षा दूत की हत्या, 2023 से अब तक 9 बने निशाना


बीजापुर नक्सल हमला | Maoist Attack in Bijapur | Education Doot Murder | Bastar News


बीजापुर। बस्तर संभाग के बीजापुर जिले से फिर एक दर्दनाक खबर सामने आई है। माओवादियों ने अपनी कायराना हरकत को दोहराते हुए एक और शिक्षा दूत की बेरहमी से हत्या कर दी। यह घटना शुक्रवार और शनिवार की दरमियानी रात की है, जब गंगालूर क्षेत्र के नेन्द्रा गांव में पदस्थ शिक्षा दूत कल्लू ताती को स्कूल से लौटते समय माओवादियों ने अगवा कर लिया और फिर उसकी हत्या कर दी।


शिक्षा के उजाले पर माओवादियों का हमला


जानकारी के मुताबिक, कल्लू ताती रोजाना की तरह स्कूल से अपने घर लौट रहे थे। तभी घात लगाए बैठे माओवादियों ने उनका अपहरण कर लिया। देर रात उनकी हत्या की वारदात को अंजाम दिया गया। मृतक आदिवासी युवक था और शिक्षा दूत के रूप में स्थानीय बच्चों को पढ़ाने का कार्य करता था।


2023 से अब तक 9 शिक्षा दूतों की हत्या


यह कोई पहली घटना नहीं है। बस्तर में माओवादी लगातार शिक्षा दूतों को अपना निशाना बना रहे हैं। 2023 से लेकर अब तक 9 शिक्षा दूतों की हत्या हो चुकी है। ये वे लोग हैं, जो जंगल और दुर्गम इलाकों में रहकर शिक्षा की रोशनी फैलाने का काम कर रहे थे। लेकिन माओवादी उन्हें पुलिस का मुखबिर बताकर निशाना बना रहे हैं।


माओवादियों की कायराना रणनीति


विशेषज्ञों का कहना है कि माओवादी जानबूझकर शिक्षा दूतों पर हमला कर रहे हैं, ताकि ग्रामीण इलाकों में शिक्षा का विकास न हो पाए। दरअसल, शिक्षा और जागरूकता से लोग नक्सली विचारधारा से दूर होते हैं, इसी डर से माओवादी स्कूल, सड़क, शिक्षक और सरकारी योजनाओं को नुकसान पहुंचाते हैं।


स्थानीय लोगों में आक्रोश और भय


इस घटना के बाद नेन्द्रा और आसपास के गांवों में दहशत का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि शिक्षा दूत बच्चों को पढ़ाकर उनके भविष्य को संवारने का काम कर रहे थे, लेकिन माओवादियों ने फिर एक घर का चिराग बुझा दिया।


सरकार और सुरक्षा बलों की चुनौती

लगातार हो रही ऐसी घटनाएं सरकार और सुरक्षा बलों के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई हैं। सरकार की ओर से शिक्षा दूतों को सुरक्षा का आश्वासन दिया जाता है, लेकिन नक्सली क्षेत्रों में हालात अब भी चिंताजनक हैं।

निष्कर्ष

बीजापुर की यह घटना सिर्फ एक हत्या नहीं, बल्कि शिक्षा और विकास पर सीधा हमला है। बस्तर के जंगलों में माओवादी शिक्षा दूतों को अपना दुश्मन मानकर उनके जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। सवाल यह उठता है कि आखिर कब तक बस्तर के बच्चों के सपनों को इस तरह कुचला जाता रहेगा?

Tags

Post a Comment

0 Comments

Post a Comment (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!