एफसीआई के डीओ पर शुरू हुआ खेल – चावल जमा नहीं होगा तो कन्वर्जन पक्का, अवैध वसूली की तैयारी
रायगढ़, अगस्त 11 – छत्तीसगढ़ में कस्टम मिलिंग के दौरान एफसीआई (भारतीय खाद्य निगम) और नान (नागरिक आपूर्ति निगम) के बीच चावल के कन्वर्जन का पुराना खेल एक बार फिर शुरू हो गया है। इस बार भी एफसीआई का कोटा बढ़ा दिया गया है, लेकिन देर से आवंटन मिलने के कारण चावल जमा करने में मुश्किलें आ रही हैं।
पिछले साल जैसी कहानी, फिर दोहराई जा रही
वर्ष 2024-25 में खरीदे गए धान का चावल नवंबर से पहले एफसीआई में जमा नहीं हो पाएगा। नवंबर के बाद नया धान खरीदी सत्र शुरू होगा और तब पुराना चावल एफसीआई से नान में कन्वर्ट किया जाएगा। इस कन्वर्जन के नाम पर प्रति क्विंटल 15 से 27 रुपये तक की अवैध वसूली होने की पूरी संभावना है।
पुराना आवंटन और धीमी मिलिंग का खेल
पिछले साल (2023-24) खरीदे गए धान की मिलिंग में भी देरी हुई थी, और तीन महीने पहले ही चावल तैयार होकर जमा किया गया। समय पर चावल जमा न होने से एफसीआई का कोटा नान में कन्वर्ट कर दिया गया, जिसके बदले मोटी रकम वसूली गई। सूत्रों के मुताबिक, इस खेल में खाद्य विभाग, मार्कफेड और नागरिक आपूर्ति निगम सभी की मिलीभगत रही।
नीलामी रोककर डीओ जारी
इस साल भी 2024-25 के सरप्लस धान को नीलामी के बजाय एफसीआई के लिए डीओ (डिलीवरी ऑर्डर) जारी किए जा रहे हैं। राइस मिलर्स पुराने धान का चावल एफसीआई में जमा करने की कोशिश करेंगे, लेकिन नवंबर तक समय कम है, इसलिए यह काम मुश्किल है। नतीजा, 2024-25 के धान का चावल अब 2025-26 में जमा होगा।
कन्वर्जन में खुली वसूली तय
कस्टम मिलिंग में भ्रष्टाचार अब एक स्थायी समस्या बन चुकी है। किसी भी सरकार के आने-जाने से इसमें बदलाव नहीं आता। मौजूदा स्थिति में भी एफसीआई के डीओ का चावल समय पर जमा नहीं हो सकेगा और बाद में नान में कन्वर्जन के जरिए आसानी से जमा किया जाएगा। इसके बदले तय रेट पर
खुली वसूली होगी।

