नंदेली में रक्षाबंधन के साथ सम्पन्न हुई सार्वजनिक झूला रथ यात्रा – परंपरा और भक्ति का संगम
नंदेली, छत्तीसगढ़।
धार्मिक आस्था और सामाजिक एकता का प्रतीक नंदेली गांव हर वर्ष अपने पूर्वजों की परंपराओं को संजोकर रखता है। इन्हीं परंपराओं में से एक है सार्वजनिक झूला रथ यात्रा, जो श्रावण मास की पूर्णिमा यानी रक्षाबंधन के पावन अवसर पर हर्षोल्लास के साथ आयोजित की जाती है।
45 साल पुरानी परंपरा की कहानी
लगभग 45 वर्ष पहले गांव के सपरदा पार्टी के कलाकार जब आस-पास के गांवों में रथ नाचने जाते थे, तो वहां से मिलने वाले पैसों को इकट्ठा करते थे। साथ ही, मंजीरा और मृदंग की जरूरत के अनुसार खरीदारी की जाती थी।
एक दिन यह निर्णय हुआ कि क्यों न हम भी अपने गांव में झूला रथ बनाएं। इस विचार को साकार करने के लिए तय किया गया कि बाहर कार्यक्रम से आने वाले पैसों के साथ-साथ हर व्यक्ति दाल, चावल और थोड़ी-थोड़ी राशि देगा, जिससे सावन की पूर्णिमा पर सार्वजनिक झूला रथ निकाला जा सके।
तब से यह परंपरा निरंतर जारी है। पहले रथ यात्रा मालीपारा से निकलती थी, और बीच में एक-दो बार स्व. पनिकराम चौधरी के घर से भी शुरू हुई।
इस यात्रा की शुरुआत करने वालों में प्रमुख थे –
जयलाल मालाकार, लालमेन मालाकार, टुकाराम मालाकार, त्रिलोचन मालाकार, पनिकराम चौधरी, रेवाराम बरेठ, नारद निषाद, नान्हू निषाद, मधुसूदन निषाद, कंवलसिंह बरेठ, बेदराम विश्वकर्मा और छोटू सिदार।
भक्ति और उत्साह से भरी रथ यात्रा
रक्षाबंधन के दिन भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा मैया और बलभद्र को झूले में विराजमान कर पूरे गांव में शोभायात्रा निकाली जाती है। मंदिर परिसर पहुंचकर माता-बहनें भगवान को झूलाकर अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।
इस वर्ष रथ यात्रा में शामिल रहे –
खगपति मालाकार, लेखराम मालाकार, त्रिलोकीनाथ मालाकार, बोधीराम मालाकार, नीलकुमार मालाकार, पितांबर मालाकार, सुदामा मालाकार, खीरराम मालाकार, दुर्योधन विश्वकर्मा, शिशुपाल सिदार, गोसाईं बरेठ, प्रेमलाल यादव, आनंदराम यादव, अवधाराम यादव, मंगतू सिदार, सोनसाय साहू, हरि निषाद, कंवलसिंह बरेठ, वेदराम विश्वकर्मा, गोबिंद पाव, मनचीत मालाकार, नरेंद्र निषाद और गांव के अन्य उत्साही कलाकार।
संगीत और नृत्य से सजी शाम
इस अवसर पर खगपति मालाकार एवं लाल सिदार की सपरदा पार्टी ने उड़िया के सुमधुर गीतों और मृदंग की थाप के साथ पूरे माहौल को भक्तिमय बना दिया।
दुर्योधन विश्वकर्मा और त्रिलोकीनाथ मालाकार की लयबद्ध प्रस्तुति ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
इस आयोजन को सफल बनाने में कीर्तन मालाकार, गनपत यादव, श्याम साहू, नरसिंह साहू, सहनू मालाकार, प्रेमशंकर पटेल, लाल कुमार पटेल, सुनील पटेल, नवीन मालाकार, पारेश्वर पुष्पाकर और पूरे गांव के लोगों का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

